शुक्रवार, 24 सितंबर 2010

पाकिस्तान में बाढ़ शिक्षा बेज़ार

जब अचानक हमें कुछ धनराशि की आवश्‍यकता हो तो हम क्‍या करते हैं ? या तो कोई ऐसा काम तलाशतें हैं जहां से तत्‍काल कुछ अर्जित किया जा सके अथवा ऐसे खर्चो पर विराम लगाते हैं जिन्‍हें हम अपनी नजरों में विलासिता समझतें हैं । यदि फिर भी आवश्‍यकता की पूर्ति न हो तो हम किसी परिचित, किसी दोस्‍त या रिश्‍तेदार के आगे हाथ फैला देते हैं । लेकिन क्‍या कभी आपनें ऐसा किया है कि ऐसी आपातकालीन अवस्‍था में जब कुछ धनराशि की आवश्‍यकता हो तो आपनें अपनी उस आवश्‍यकता पर विराम लगाया हो जो आपका भविष्‍य बना सकती है । नहीं ना । लेकिन ऐसा हुआ है, और वह भी हमारे पड़ोस में ।

पाकिस्‍तान में भी हमारे देश की तरह अभूतपुर्व बाढ़ आई हैं । इस विनाशकारी बाढ़ के चलते पाकिस्‍तान की केन्‍द्र सरकार ने वित्तीय संकट का सामना करने के लिए विकास कोष में कटौती करने का फैसला लिया है । इस फैसले का परिणाम यह हुआ है कि उच्‍च शिक्षा आयोग को पिछले साल जहां 22.5 अरब रूपये का बजट मिला था वहीं अब इसे घटा कर 15.7 अरब रूपये कर दिया गया है । यानि विनाशकारी बाढ़ के चलते पाकिस्‍तान में शिक्षा का विनाश भी होना तय है । यह भी गौरतलब है कि स्‍वीकृत बजट में से केवल 1.5 अरब रूपये ही जारी किए गए हैं । यह जानकारी सभी समाचारपत्र व अन्‍य मीडिया के साधन दे रहे हैं ।

यहां सोचने वाली बात यह है कि पाकिस्‍तान के हुक्‍मरानों को विनाशकारी बाढ़ के चलते यदि सरकारी खर्च में कटौती करनी ही थी तो क्‍यों नहीं मंत्रियों के विदेशी दौरों, शाही पार्टियों, व्‍यर्थ में बर्बाद किए जा रहे हथियार खरीद के सौदों व आंतकवादियों को दी जा रही सहायता पर रोक लगाई गई । संभवत:  पाकिस्‍तान में भारत को सभी समस्‍याओं की जड़ के रूप में देखनें वाले चश्‍में पहनें बैठी सरकार को पाकिस्‍तान की ज्‍यादातर समस्‍याओं की जड़ शिक्षा की कमी दिखाई नहीं देती । इसका कारण संभवत: यह भी हो सकता हैं कि शिक्षित पाकिस्‍तान भारत विरोध के लिए एकजुट नहीं होगा । ऐसे में आंतकवादी व अलगाववादी ताकतें और एक इलीट पाकिस्‍तान कैसे अपनी रोटियां सेंक पाएगा ।

मेरा तो यही कहना हैं कि यह कटौती की कार्रवाई पाकिस्‍तान की मानसिकता को दर्शाती है । भारत में सरकार मदरसों से आगे निकल कर बच्‍चें शिक्षित हो पाएं व दुनिया से लोहा ले सकें की सोच रखती है लेकिन पाकिस्‍तान सरकार न केवल सरकारी शिक्षा प्रणाली को नष्‍ट करनें पर उतारू है बल्कि‍ विकास कार्यो को भी ठप्‍प कर देना चाहती है ।


क्‍या हम अपनें पड़ोस में धारावी जैसी एक अबुझ झुग्‍गी बस्‍ती को झेल पाएंगें, जिसकी अंधेरी गलियों में पनप रही अलगाववाद व आतंकवाद की आग हमें ही लीलनें को आगें न बढ़ जाएं ?  निस्‍:संदेह पाकिस्‍तान सरकार शिक्षा पर खर्च को बढ़ा कर ही पाकिस्‍तान को पाक-साफ बना सकती हैं व भारत के सानिध्‍य का लाभ उठाकर लोकतंत्र की जड़ें मजबूत कर सकती है । बस इसके लिए सोच को बदलना होगा ।

- अरविन्‍द पारीक

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें