बुधवार, 28 जुलाई 2010

मन की बात सबके साथ या बला की आग ?

शीर्षक पढ़ कर आप सोच रहे होगें कि मैं किस बला की आग की बात कर रहा हूँ । अरे भाई
ये बात है इस ब्‍लॉग की । दरअसल हुआ यह कि जब मैंनें अपने मित्र को अपने इस ब्‍लॉग
के बारे में बताया तो वो बोले भैया आप भी बला की आग लिखनें चले हैं ।

मैंनें उन्‍हें समझाया वेब लॉग के संक्षिप्त रूपांतरण को ब्लॉग कहा जाता है ।

ब्‍लॉग कुछ भी हो सकता है - आपकी व्‍यक्तिगत डॉयरी या एकदैनिक टिप्‍पणी का मंच या
एक सहयोगियों का मिलाजुला स्‍थान या एक राजनैतिक सोपबॉक्स या ताजा समाचार देने वाला
आउटलेट या उपयोगी लिंक का एक संग्रह या अपने निजी विचार या दुनिया के लिए प्रदर्शित
ज्ञापन अर्थात एक ऐसी वेबसाइट जहां ब्‍लॉग लेखक की रूचि अनुसार उसकी पसंद का संग्रह
मौजूद रहता है । ब्‍लॉग एक सोशल नेटवर्किग साईट का काम भी करता है । जहां आपसे
अनेको लोग जुड़ जाते है । वो आपको पसंद या नापसंद करते है ।

अरे मेरे भाई इन बातो को रहने दीजिए । ये बातें तो किसी भी साईट पर लिखी मिल जाएंगी


आपकी बात का लब्‍बोलुआब यही तो हुआ ना कि ब्लॉगिंग के लिए आप बला की आग जलाना
जानते है तो आप ब्‍लॉग लेखक बन सकते है । आप इस बला की आग के साथ ब्‍लॉग लिख सकते
हैं ।

लेकिन यह बला की आग है क्‍या ? किसी बला या मुसीबत की बात कर रहे हैं आप ?
इस दुनिया में इतनी बलाएं या मुसीबतें है कि आप हर घंटे पर एक ब्‍लॉग लिख सकते हैं
। महंगाई से लेकर सगाई तक, पिटाई से लेकर चटाई तक, लुगाई से लेकर भौजाई तक, आलोचना
से लेकर बधाई तक यदि यह भी कम लगता है तो राजा से रंक तक, जनता की पसंद तक,
राजनैतिक ख्‍याल तक, फैशन के बवाल पर, फिल्‍मी सवाल तक, देश पर विदेश पर, गांव पर
खलिहान पर, पान की दुकान पर, क्रिकेट की बॉल पर, फुटबाल की चाल पर, हॉकी में सेक्‍स
पर, या सेक्‍स की हॉकी पर, वर्दी खाकी पर, देश की सीमा पर, सीमा के पार तक, सैनिको
के हाल तक, तेल-घी की मिलावट पर, माथें की सलवट पर, नेता के तलवों पर, नैतिकता की
अनैतिकता पर, क्रीमी लेयर की अधिकता पर, मंदिर की बात पर, मस्जिद के ख्‍याल पर,
सीबीआई की चाल पर, संसद के हाल पर .....

बसबस मैं समझ गया कुल मिलाकर यह क्‍यों नहीं कहते की मन की बात सबके साथ की जा सकती
हैं ।

ना भाई ना, मैं शब्‍दों पर गौर करता हूँ इसलिए ब्‍लॉग को बला की आग कहता हूँ ।

अच्‍छा आप लोग ही बताइये कि क्‍या ठीक है मन की बात सबके साथ या बला की आग ?

अरविन्‍द पारीक

2 टिप्‍पणियां:

  1. मेरे विचार में तो ब्‍लॉग बला की आग ही है । मन की बात को अभिव्‍यक्‍त करने के लिए भी मन में बला की आग ही चाहिए ।

    रोहन

    जवाब देंहटाएं
  2. ब्‍लॉग लिखने के लिए ढेरो विषय बताने का शुक्रिया ।

    महंगाई से लेकर सगाई तक, पिटाई से लेकर चटाई तक, लुगाई से लेकर भौजाई तक, आलोचना
    से लेकर बधाई तक यदि यह भी कम लगता है तो राजा से रंक तक, जनता की पसंद तक,
    राजनैतिक ख्‍याल तक, फैशन के बवाल पर, फिल्‍मी सवाल तक, देश पर विदेश पर, गांव पर
    खलिहान पर, पान की दुकान पर, क्रिकेट की बॉल पर, फुटबाल की चाल पर, हॉकी में सेक्‍स पर, या सेक्‍स की हॉकी पर, वर्दी खाकी पर, देश की सीमा पर, सीमा के पार तक, सैनिको के हाल तक, तेल-घी की मिलावट पर, माथें की सलवट पर, नेता के तलवों पर, नैतिकता की अनैतिकता पर, क्रीमी लेयर की अधिकता पर, मंदिर की बात पर, मस्जिद के ख्‍याल पर,सीबीआई की चाल पर, संसद के हाल पर.....

    निस्‍संदेह ऐसे सैंकड़ो विषय पर लिखने वाले लिख सकते है । लेकिन आप चुप क्‍यों हो गए हैं ।

    राकेश भट्ट

    जवाब देंहटाएं